दिल का मौसम सर्द बहुत है, बाकी तो सब अच्छा है
एक तुम्हारी कमी है यारा, बाकी तो सब अच्छा है
देहरी, आँगन, तुलसी चौरे, धरा दीप है माटी का
मेरी साँसें तेरा सुमिरन, बाकी तो सब कच्चा है
जंगल-सहरा-पर्वत-दर्रे, मारी फिरी मैं, हुई हलकान
एक भरम तू, एक छलावा, बाकी तो रब सच्चा है
एक तुम्हारी कमी है यारा, बाकी तो सब अच्छा है
देहरी, आँगन, तुलसी चौरे, धरा दीप है माटी का
मेरी साँसें तेरा सुमिरन, बाकी तो सब कच्चा है
जंगल-सहरा-पर्वत-दर्रे, मारी फिरी मैं, हुई हलकान
एक भरम तू, एक छलावा, बाकी तो रब सच्चा है
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